Monday, July 29, 2019

प्रशासन एवं समाज दोनों में बाल संरक्षण से संबंधित नियमों की  समझ जरूरी : संभागायुक्त त्रिपाठी - 

:: महिला एवं बाल विकास एवं यूनिसेफ का बाल संरक्षण की दिशा में संयुक्त प्रयास :: 



इन्दौर। बाल संरक्षण से जुड़े कानून, अधिनियमों तथा बाल हित की दिशा में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा यूनिसेफ-इंडिया की संयुक्त कार्यशाला का शुभारंभ आज संभागायुक्त श्री आकाश त्रिपाठी ने इन्दौर स्थित फेयरफील्ड मेरियट होटल में किया। यह कार्यशाला 29 जुलाई से 31 जुलाई तक आयोजित होगी। 


संभागायुक्त श्री त्रिपाठी ने अपने उदबोधन में कहा कि बाल संरक्षण से संबंधित अधिनियमों का ज्ञान होना तथा महत्ता को समझना न केवल वर्तमान समय की जरूरत है बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिये अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बाल श्रम, शोषण, लैंगिक अपराध तथा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा अपराध एवं समाज तथा प्रशासन का उनके प्रति व्यवहार आदि विभिन्न स्तर पर आने वाली चुनौतियाँ हैं, जिनका सामना करने के लिये बाल संरक्षण, किशोर न्याय आदि अधिनियमों का सही ज्ञान जरूरी है। 


इस क्षमता संवर्धन कार्यशाला में यूनिसेफ इंडिया के राज्य स्तरीय चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट श्री लॉली चेन पी.जे. ने विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय कानून जैसे यूएनसीआरसी (संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता), जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट, पॉक्सो ऐक्ट, बाल श्रम अधिनियम आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर आता है। वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार 70 हजार 239 बच्चे बाल श्रमिकों की श्रेणी में आते हैं, जिनकी उम्र 5 से 14 साल तक होती है। देश में सबसे ज्यादा बलात्कार तथा लैंगिक अपराध भी मध्यप्रदेश में ही देखने मिलते हैं। प्रदेश में लगभग 32 प्रतिशत बाल विवाह के प्रकरण सामने आते हैं, जिसमें बच्चियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है, इनसें से 10 से 17 वर्ष की बच्चियों में से लगभग 7 प्रतिशत गर्भवती हो जाती है। यह सभी आंकड़े चौकाने वाले हैं, जिन पर गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है। 


कार्यशाला में महिला बाल विकास विभाग इन्दौर संभाग की संयुक्त संचालक सुश्री संध्या व्यास ने विभाग के अन्तर्गत आने वाली (आईसीपीएस) समेकित बाल संरक्षण योजना के विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा कर बाल संरक्षण की दिशा में विभाग की प्रतिबद्धता को बताया । उन्होंने कहा कि महिला बाल विकास विभाग के साथ-साथ अन्य विभाग जैसे पुलिस, सामाजिक न्याय तथा संस्थाएं जैसे चाइल्ड प्रोटेक्शन समिति, चाइल्ड वेलफेयर समिति, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड आदि के संयुक्त प्रयासों से सक्रिय मंच स्थापित हो सकेगा, जो बाल अपराधों तथा उनके प्रति हिंसा को रोकेगा। 


कार्यशाला में स्वयंसेवा संस्था “ममता” की प्रतिनिधि सुश्री अद्वैता मराठी ने किशोर न्याय एवं किशोर सशक्तिकरण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के 26 जिलों में जिला स्तरीय एक्शन प्लान चलाया जायेगा, जिसका नोडल महिला एवं बाल विकास विभाग होगा। 


कार्यशाला में मध्यप्रदेश के महिला बाल विकास विभाग के विभिन्न संभागों के संयुक्त संचालक, विभिन्न जिलों से आये जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं सहायक संचालक तथा यूनिसेफ एवं ममता संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 


एसीसी की निर्माण सलाहकार पहल के जरिये हजारों राजमिस्त्रियों, ठेकेदारों और घर बनाने वालों को प्रदान की गई तकनीकी सहायता

 एसीसी ने अपनी निर्माण सलाहकार पहल के तहत घर बनाने वालों, राजमिस्त्रियों और ठेकेदारों को सशक्त बनाने की दिशा में उठाया एक महत्वपूर्ण कदम • ए...