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सिर्फ इसलिये कि आपको सांपों से डर लगता है उन्हें मारना सही नहीं है‘‘, यह कहना है निर्भय वाधवा का


हममें से कुछ लोग इंसान हैं, जबकि कुछ मनुष्य हैं; इन दोनों के बीच एक बारीक-सी रेखा है, जिसे हमारे प्यार, संवेदना और दया के गुण के आधार पर बांटा जाता है। अभी हाल ही में जाने-माने इंटरनेशनल एक्टर ने अपने आॅस्कर भाषण में कहा कि हम सभी जीवित प्राणियों के लिये काफी कुछ कर सकते हैं; क्योंकि ऐसा नहीं है कि हम जानवरों की एक प्रजाति को प्यार कर सकते हैं और दूसरे को नफरत। इसका एक अद्भुत उदाहरण पेश किया है एण्ड टीवी के ‘कहत हनुमान जयश्रीराम’ के निर्भय वाधवा ने। इस बारे में शायद बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि निर्भय को बचपन से ही जानवरों से बेहद प्यार रहा है और खासतौर से सांपों और उनके जैसे रेंगने वाले जीवों से। सेट पर भी यदि उन्हें कोई सांप दिख जाता है तो वह तुरंत ही उसके बचाव के लिये आगे आ जाते हैं और उसे उसके असली घर में छोड़ देते हैं। उन्होंने काफी सारे सांपों को बचाया है और इसका श्रेय वह अपने दोस्त को देते हैं जिन्होंने उन्हें जानवरों को बचाने के बारे में सिखाया है, खासकर सांपों को। निर्भय ने उन्हें खास तरीके से पकड़ने में महारत हासिल की है और हमें लगता है कि इसका थोड़ा श्रेय जानवरों के प्रति उनके बेशुमार प्यार को जाना चाहिये।


 


सांपों के प्रति अपने प्यार के बारे में बताते हुए, निर्भय वाधवा ने कहा, ‘‘मुझे रेंगने वाले जीव पसंद हैं, खासकर सांप। बचपन से ही उनके प्रति मेरा विशेष लगाव रहा है। आज यह देखकर दुख होता है कि लोग किस तरह इन प्रजातियों के प्रति दुव्र्यवहार करते हैं, जब ये रहवासी इलाकों में दिखते हैं। मैंने देखा है कि लोग उनके ऊपर तेल डालकर उन्हें जला देते हैं कि क्योंकि उन्हें उनसे डर लगता है। लेकिन सांप भी इतने इंसानों को देखकर उतना ही डर जाते हैं! यह ठीक नहीं है कि आपको सांपों से डर लगता है इसलिये उन्हें मार डालो। एक बात जो लोगों को समझ नहीं आती कि उनमें से 90 प्रतिशत सांप जहरीले भी नहीं होते। आप मदद के लिये बुला सकते है, क्योंकि उनके बचाव के लिये कई सारे संस्थान काम कर रहे हैं।’’


 


 


उन्होंने आगे कहा, ‘‘अपने भौतिक सुखों के लिये हमने जंगलों की कटाई कर उनके घरों को तबाह कर दिया है। तो फिर ऐसे में सांप कहां जायेंगे? यदि हम एक साथ नहीं रह सकते तो हम सच्चे मनुष्य नहीं हैं।’’


 


निर्भय के पास दो प्यारे-प्यारे डाॅगी भी हैं, जिनमें से एक को उन्होंने दो साल पहले एक बरसात वाली रात में बचाया था।


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